कैप्टन विक्रम बत्रा: कारगिल की जंग में पाकिस्तान को धूल चटाने वाले इस शेरशाह को नम आखों से माता पिता ने दी सच्ची श्रद्धांजलि, कही दिल छू लेने वाली बात
नई दिल्ली। इतिहास गवाह है जब भी भारत और पाकिस्तान के युद्ध की बात सामने आई है तो हमारी जबाज सेना ने हमेशा जंग के मैदान पर पाकिस्तान को धूल चटाने की हिम्मत दिखाई है। जिसका जीता जागता उदा. आज से 22 साल पहले 26 जुलाई 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान देखने को मिला था। इस जंग में भारतीय रणबांकुरों ने घुसपैठियों के वेश में आए पाकिस्तानी सैनिकों को ढेर करते हुए तिरंगा लहरा दिया था इन्हीं के बीच कमांडर डेल्टा कंपनी के कैप्टन विक्रम बत्रा ने भी कमान संभाली थी।
प्वाइंट 4875 चोटी पर कब्ज़े करने के लिए इन्होने बड़ी निडरता के साथ शत्रु पर धावा बोल दिया और आमने-सामने कि लड़ाई में चार को मार गिराया। इसके बाद आने वाली हर मुसीबतों को सामना करते हुए अपने साथियों की जान बचाते हुए उन्होंने इस चोटी पर कब्ज़ा करके तिंरगे को फहरा दिया। इसके बाद कैप्टन विक्रम बत्रा ने इस चोटी से रेडियो के जरिए अपना विजय उद्घोष का एलान किया था। लेकिन शुत्रुओं से आमने-सामने कि लड़ाई के दौरान शरीर पर लगे जख्म के चलते कैप्टन विक्रम बत्रा वीरगति को प्राप्त हुए।
उन्ही की वीरगाथा को याद करते हुए उनके ऊपर बनाई गई फिल्म ‘शेरशाह’ (Shershaah) का कल यानी रविवार को ट्रेलर लॉन्च किया गया है। इस फिल्म में सिद्धार्थ मल्होत्रा (Sidharth Malhotra) और कियारा आडवाणी (Kiara Advani) लीड रोल में हैं। इस फिल्म के ट्रेलर को कारगिल दिवस से ठीक एक दिन पहले कारगिल के द्रास में भारतीय सेना के जवानों और सीडीएस जनरल विपिन रावल के संग फिल्म की टीम ने लॉन्च किया। यह फिल्म कारगिल में देश के लिए बलिदान देने वाले कैप्टन विक्रम बत्रा (Captain Vikram Batra) की शौर्य गाथा को दर्शाएगी।
इस मौके पर कैप्टन विक्रम बत्रा के भाई तो मौजूद थे, लेकिन उनके माता पिता की बूढ़ी आखें अपने बेटे के इस कार्यक्रम का हिस्सा नहीं बन पाई थी। 22 साल पहले दिए गए जख्म को वे लोग आज भी नही भुला पाए हैं। हालांकि, फिल्म के ट्रेलर को देखने के बाद उन्होंने कहा है कि यह फिल्म एक सैनिक के लिए सच्ची श्रद्धांजलि है। हर मां-बाप के पास ऐसा बेटा हो यह सौभाग्य की बात है।
विक्रम बत्रा के माता-पिता ने कहा कि यह फिल्म उन सभी माता पिता की तरफ से सैनिको को सच्ची श्रद्धांजलि है, जिसने देश के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी और अपनी वीरता के लिए पाकिस्तान सहित दुनिया भर में लोग उनकी वीरगाथा को आज भी याद करते हैं।
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