अनुराग कश्यप की फिल्म 'चोक्ड : पैसा बोलता है' में डिमॉनेटाइजेशन (नोटबंदी) ने एक अभिन्न भूमिका निभाई है। फिल्म निर्माता का कहना है कि इसने पैसे और शादी की कहानी को एक सहज तरीके से जोड़ने में मदद की। इसमें हमेशा से एक ग्रेट आइडिया और एक अच्छी स्क्रिप्ट थी लेकिन एक्स-फैक्टर की कमी थी। डिमॉनेटाइजेशन ने इसे एक साथ बांधने का काम किया।
2015 में शुरू की थी स्क्रिप्ट
फिल्म बनाने के संदर्भ में कश्यप ने एक इंटरव्यू बताया कि फिल्म पर काम करना एक अच्छी प्रोसेस रही। यह एक लंबा इंतजार था। इसकी शुरुआत साल 2015 में एक स्क्रिप्ट के साथ हुई थी। उस समय, कोई डिमॉनेटाइजेशन नहीं हुआ था और जब यह हुआ, तो इसे स्क्रिप्ट में शामिल किया जाना ही था और इसलिए हमने स्क्रिप्ट को फिर से लिखा। उन्होंने आगे कहा, निहित भावे इस पर काम करते रहे। सैयामी खेर साल 2017 में आईं और रोशन मैथ्यू 2018 में आए। हमने फिल्म की शूटिंग 2019 में की।
बैंकों में लगी थी लंबी—लंबी कतारें
गौरतलब है कि भारत सरकार ने साल 2016 में काले धन को बाहर निकालने, नकली नोटों को खत्म करने और आतंकवाद की फंडिंग से निपटने के लिए डिमॉनेटाइजेशन (नोटबंदी) कर 500 और 1,000 रुपये के पुराने नोटों को बंद करने का फैसला किया था। इस निर्णय के बाद देश के बैंकों में लंबी-लंबी कतारें लग गईं थीं, लोग पुराने नोटों को नए नोटों से बदलने के लिए अलग-अलग तरीकों की तलाश कर रहे थे और शादी जैसे कई बड़े आयोजनों में व्यवधान पैदा होने लगा था। ऐसा ही कुछ कश्यप ने सरिता पिल्लई (सैयामी) और सुशांत पिल्लई ( रोशन) की कहानी में दिखाने की कोशिश की है।
मध्यवर्गीय गृहिणी की कहानी
'चोक्ड' एक मध्यवर्गीय गृहिणी की कहानी है। डिमॉनेटाइजेशन कैसे उसके जीवन को बदल देता है इस पर यह कहानी है। साथ ही यह इस बात पर भी प्रकाश डालती है कि वह कैसे अपने बेरोजगार पति की मदद कर रही है। फिल्म निर्माता ने दावा कर कहा, इस फिल्म के साथ आम तौर पर जो मैं फिल्मों के साथ करता हूं, उससे दूर जाने की कोशिश कर रहा था। कश्यप ने कहा, मेरी फिल्म मेकिंग प्रोसेस भी बदल रही है, क्योंकि पिछली तीन फिल्में जो मैंने की उन में आइडिया किसी और को आया मुझे नहीं और वास्तव में यह कभी-कभी एक बड़ी मदद है। चोक्ड : पैसा बोलता है 5 जून से नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम होगी।
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